Sikhism History – सिख धर्म का इतिहास

तथा अन्य धर्मावलम्बियों में समानता व एकता स्थापित करने के उद्देश्य से लंगर की शुरुआत की थी।

वाहे गुरु- यह ईश्वर का प्रशंसात्मक नाम है।

सत श्री अकाल, बोले सो निहाल- ईश्वर सत्य, कल्याणकारी और कालातीत है, जिसके नाम के स्मरण से मुक्ति मिलती है।

वाहे गुरु द खालसा, वाहे गुरु दी फ़तह- खालसा पंथ वाहे गुरु (ईश्वर) का पंथ और और अंतत: उसी की विजय होती है।

सिक्ख धर्म के पाँच प्रमुख धर्मकेन्द्र (तख़्त) हैं-

1.अकाल तख्त

2.हरमंदिर साहब

3.पटना साहब

4.आनन्दपुर साहिब

5.हुज़ूर साहब।

धर्म सम्बन्धी किसी भी विवाद पर इन तख्तों के पीठासीन अधिकारियों का निर्णय अंतिम माना जाता है।

पाँच ककार-

सिक्खों के 10वें और अंतिम गुरु गोविन्द सिंह ने पांच ककार-केश, कंघा, कड़ा और कृपाण को अनिवार्य बना दिया। गुरुद्वारे में प्रतिदिन या विशेष अवसरो पर स्वेच्छा से किया गया श्रम, जैसे- गुरुद्वारे की सीढ़ियों की सफाई, कड़ा प्रसाद बनाना, भक्तजनों के जूते संभालना व साफ़ करना आदि। कभी-कभी धर्म विरोधी कार्य करने पर सज़ा के रूप में व्यक्ति को ये कार्य करने का आदेश दिया जाता

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