How To Find God – परमेश्वर से मुलाकात

सृष्टि को देखकर यह कहना कि परमेश्वर नहीं है क्योंकि हम उसे देख नहीं पा रहे,  निरी मूर्खता है। क्या हम में से कोई व्यक्ति ऐसा है, जिसने अपना मस्तिष्क अपनी आँखों से देखा हो, तो भी हम विश्वास करते हैं कि हमारे पास मस्तिष्क है। जिस प्रकार मस्तिष्क दिखाई ना देते हुए सारी देह को नियंत्रित करता है उसी प्रकार परमेश्वर का नियंत्रण सारी सृष्टि पर है।

मनुष्य परमेश्वर की बेजोड़ रचना है। परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाया तथा उसमें जीवन का श्वास फूंका जिससे वह जीवित प्राणी बन गया। परमेश्वर ने मनुष्य को कण, आँख, ज्ञान, बुद्धि और इच्छा शक्ति दी। परमेश्वर की इच्छा थी कि मनुष्य उसके साथ सदा संगति में रहे। परन्तु प्रथम मनुष्य परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी न रह सका और पाप कर बैठा, जिसके कारण पाप ने जगत में प्रवेश किया और सभी मनुष्य पापी हो गए। इस संसार में ऐसा कोई भी नहीं जिसने पाप न किया हो (रोमियों ३:२३)। मनुष्य के पाप की मजदूरी तो मृत्यु है (रोमियों ६:२३)। अत: पाप ने मनुष्य को परमेश्वर से दूर कर दिया। अब वह चाहकर भी परमेश्वर को जानने में असमर्थ है क्योंकि परमेश्वर पवित्र है और पापी उसकी उपस्थिति में ठहर नहीं सकता।

आरम्भ से ही ऋषि मुनियों और ज्ञानियों ने परमेश्वर को जानने की इच्छा रखी। परमेश्वर के विषय में एक मात्र सच्चा ज्ञान हमें बाइबल से ही प्राप्त होता है। बाइबल हमें बताती है, “परमेश्वर को किसी ने नहीं देखा, एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में है, उसी ने उसे प्रकट किया।“ अत: परमेश्वर के पुत्र यीशु इसलिए पृथ्वी पर आए कि पिता परमेश्वर को हम पर प्रकट कर सकें।

परमेश्वर हम से प्रेम करता है और वह नहीं चाहता कि हम नाश हों। इसलिए परमेश्वर ने हमारे उद्धार की एक योजना तैयार की जिसके द्वारा हम विनाश और नरक के दण्ड से बच सकें। परमेश्वर की पवित्रता की यह मांग थी कि पाप को उचित दण्ड मिले। परमेश्वर के प्रेम ने यह ठहराया कि प्रभु यीशु मसीह स्वयं इस दण्ड को अपने ऊपर लेकर मनुष्य के उद्धार का प्रबंध करे। पवित्र बाइबल में लिखा है, “परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रकट करता है कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे पापों के लिए मरा।“ परमेश्वर पवित्र, न्यायी और धर्मी है। यीशु मसीह के पवित्र बलिदान के द्वारा समस्त मनुष्य के पापों की क्षमा और मुक्ति का मार्ग खुला तथा हमारा परमेश्वर से मेल-मिलाप संभव हो गया। परमेश्वर को जानने के लिए यीशु मसीह पर विश्वास करना और उसे अपना मुक्तिदाता स्वीकार करना आवश्यक है। प्रभु यीशु मसीह ने कहा, “मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ, बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता। प्रभु यीशु मसीह ही उद्धारकर्ता है, क्योंकि पवित्र वचनों में यह लिखा है, “किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं, क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिसके द्वारा हम उद्धार प् सकें। अत: पापी और भटका हुआ मनुष्य केवल यीशु मसीह के द्वारा ही उद्धार प्राप्त कर सकता है, अन्य कोई उपाय नहीं। केवल यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा ही मनुष्य फिर से अपने और परमेश्वर के बीच संगति की पुन: स्थापित कर सकता है।

प्रिय पाठक, आपने स्पष्ट रूप से पढ़ा और जान लिया है कि परमेश्वर है और केवल यीशु मसीह के द्वारा ही आप उसे जान सकते हैं। बाइबल हमें बताती है, “मनुष्यों के लिए एक बार मरना और उसके बाद न्याय होना नियुक्त है,” इसका का अर्थ यह है कि इस जीवन के बाद हम सबको परमेश्वर का सामना करना है और वह हमारा न्याय करेगा। क्या हम उस दिन के लिए तैयार हैं। परमेश्वर पाप के लिए हर एक मनुष्य को दण्ड देगा परन्तु “जो मसीह यीशु में हैं उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं।“ क्योंकि उनके पाप का दण्ड यीशु मसीह ने उठा लिया है। इस कारण यह अति आवश्यक है कि हम अपने पापों से पश्चाताप करते हुए यीशु मसीह के पास आएं, उस पर विश्वास लाएं, उसे अपने जीवन का प्रभु मानें, और अनंत जीवन पाएं। बाइबल हमें बताती है कि यदि आप ऐसा करेंगे तो आप उसी समय परमेश्वर की सन्तान बन जाते हैं।

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