बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार हुए 98 वर्ष के

बॉलीवुड के अभिनय सम्राट दिलीप कुमार आज 98 वर्ष के हो गये।बॉलीवुड अभिनेत्री सायरा बानो का कहना है कि उनके पति दिलीप कुमार इस साल अपना जन्मदिन नहीं मनायेंगे।दिलीप कुमार आज 98 साल के हो गये। उनके प्रशंसक और मित्र उन्हें प्रतिवर्ष अच्छे स्वास्थ्य की बधाई देते हैं।

सायरा बानो ने कहा कि दिलीप कुमार अपने प्रशंसकों के प्यार और सराहना से गदगद हैं। उनका मानना है कि दर्शकों का प्यार उन्हें किसी भी अवार्ड के मुकाबले अधिक बहुमूल्य लगता है।सायरा बानो ने कहा इस वर्ष दिलीप कुमार का जन्मदिन मनाने की कोई योजना नहीं है।

हम अभी भी एहसान और असलम भाई के निधन से नहीं उबर पाए हैं। दिलीप साहब ने अपने जन्म पर कोई योजना नहीं बनाई है।उन्हें जब किसी के भेजे गए फूल दिखाई देते हैं तभी उन्हें याद आता है कि आज उनका जन्मदिन है।

11 दिसंबर 1922 को पेशावर अब पाकिस्तान में जन्में युसूफ खान उर्फ दिलीप कुमार अपनी माता-पिता की 13 संतानों में तीसरी संतान थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पुणे और देवलाली से हासिल की। इसके बाद वह अपने पिता गुलाम सरवर खान कि फल के व्यापार में हाथ बंटाने लगे।

कुछ दिनों के बाद फल के व्यापार में मन नहीं लगने के कारण दिलीप कुमार ने यह काम छोड़ दिया और पुणे में कैंटीन चलाने लगे।वर्ष 1943 में उनकी मुलाकात बांबे टॉकीज की व्यवस्थापिका देविका रानी से हुयी जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचान मुंबई आने का न्यौता दिया।

पहले तो दिलीप कुमार ने इस बात को हल्के से लिया लेकिन बाद में कैंटीन व्यापार में भी मन उचट जाने से उन्होंने देविका रानी से मिलने का निश्चय किया।देविका रानी ने युसूफ खान को सुझाव दिया कि यदि वह अपना फिल्मी नाम बदल दे तो वह उन्हें अपनी नई फिल्म ज्वार भाटा बतौर अभिनेता काम दे सकती है।

देविका रानी ने युसूफ खान को वासुदेव,जहांगीर और दिलीप कुमार में से एक नाम को चुनने को कहा। यूसूफ ने दिलीप कुमार नाम चुन लिया।वर्ष 1944 में प्रदर्शित फिल्म ज्वारभाटा से बतौर अभिनेता दिलीप कुमार ने अपने सिने करियर की शुरूआत की।

वर्ष 1948 में प्रदर्शित फिल्म मेला की सफलता के बाद दिलीप कुमार बतौर अभिनेता फिल्म इंडस्ट्री में अपनी बनाने में सफल हो गये।दिलीप कुमार के सिने कैरियर मे उनकी जोड़ी अभिनेत्री मधुबाला के साथ काफी पसंद की गयी।

वर्ष 1960 में दिलीप कुमार के सिने करियर की एक और अहम फिल्म मुगले आजम प्रदर्शित हुयी। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनी के.आसिफ निर्देशन में सलीम-अनारकली की प्रेमकथा पर बनी इस फिल्म में दिलीप कुमार ने शहजादे सलीम की भूमिका को रूपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया।

वर्ष 1961 में प्रदर्शित फिल्म गंगा जमुना के जरिये दिलीप कुमार ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया।फिल्म की सफलता के बाद दिलीप कुमार ने इसके बाद भी फिल्म बनाने का निश्चय किया लेकिन इन्कमटैक्स वालों के बुरे वर्ताव के कारण उन्होंने फिर कभी फिल्म निर्माणकरने से तौबा कर ली।

फिल्म गंगा जमुना में दिलीप कुमार ने हिंदी और भोजपुरी का मिश्रण किया और उनका यह प्रयोग काफी सफल रहा। इस फिल्म में दिलीप कुमार के साथ उनके भाई नासिर खान ने भी अभिनय किया।

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