मन के BOL

……रिश्ते खो जाते हैं कहीं!

वक्त कि धुल में रिश्ते खो जाते हैं कहीं कल जो अपने थे, आज गैरों में नजर आते हैं वही … सुबह वही शाम वही, पर रिश्ते खो जाते हैं कहीं ….! ख़ुशी में आंशु में जो होते थे साथ कभी, आज सालों बाद वो नजर आते हैं दूर कहीं वक्त कि धुल में रिश्ते खो जाते हैं कहीं! जिनके …

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याद आता है वो बचपन सुहाना

याद आता है वो बचपन सुहाना मिट्टी के टीले पर वो चढ़ कर चिल्लाना बिना बात के बतंगड़ बनाना हर एक जिद्द को माँ से मनवाना बापू के आहट से पढ़ने बैठ जाना याद आता है वो बचपन सुहाना भाइयों का बहनों को चुड़ैल कह कर बुलाना उनकी इन बातों को बहनों को बताना फिर आपस में उनको लड़ना मार …

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जब मैं जागता हूँ ।

है हमारी नींद  सचमुच ही बड़ी गहरी  मगर  जब जागता हूँ  जाग उठते हैं  करोड़ों पक्षियों के स्वर  फडकते हैं  करोड़ों पर  उषा के आगमन से  लाल ध्वज  नभ में फहरता है  कि जैसे  क्रान्ति हो रक्ताभ ;  प्राची  हो उठे अरूणाभ ;  गूंजे व्योम तक आवाज  जब मैं जागता हूँ ,  लिए अंगडाइयां उठतीं  दिशाएँ  तिमिर  चलता भाग ।  …

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