जब चमगादड़ उड़ता है तब वह अपने मुख से उच्च आवृति की ध्वनि निकालता है । ये पराश्रव्य तरंगे कहलाती है और लगभग सीधी रेखाओ में चलती है । चमगादड़ के मुख से निकली हुई ये तरंगे जब वस्तुओ से टकराती है तब परावर्तित होकर चमगादड़ के कानों तक पहुँचती है । चमगादड़ के कान इन ध्वनि तरंगो के प्रति बहुत संवेदन -सील होते है । उनकी सहायता से उन्हें पता चल जाता है कि कौन सी वस्तु कहाँ पर स्थित है और उड़ते समय वे उनसे बचकर रहते है ।
इंडिया हल्ला बोल