दिल्ली उच्च न्यायालय ने लगाई कन्हैया के खिलाफ कार्यवाही पर रोक

Kanhaiya-lal

दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेएनयू प्रशासन की ओर से जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ जारी किए गए अनुशासनिक कार्रवाई के आदेश पर रोक लगा दी.कन्हैया और कुछ अन्य छात्रों ने अनुशासनिक कार्रवाई के आदेश को चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने कहा कि छात्रों की अपील पर अपीलीय प्राधिकरण द्वारा फैसला किए जाने तक अनुशासनिक कार्रवाई के निर्णय पर रोक लगाई जाती है.न्यायमूर्ति मनमोहन ने यह निर्देश तब दिया जब जेएनयू छात्रसंघ ने हलफनामा देकर कहा कि उसके सदस्य अपनी भूख हड़ताल तुरंत खत्म करेंगे और कोई अन्य प्रदर्शन नहीं करेंगे. 

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि यदि छात्रों की अपील रद्द कर दी जाती है तो अपीलीय अधिकारी के आदेश को दो हफ्ते की अवधि तक प्रभावी नहीं माना जाएगा.न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘‘जब तक छात्रों की अपील पर सुनवाई और अंतिम फैसला नहीं हो जाता, (25 अप्रैल का) आदेश प्रभावी नहीं होगा. यदि याचिकाकर्ताओं की अपील खारिज कर दी जाती है, तो अपीलीय आदेश दो हफ्ते तक प्रभावी नहीं माना जाएगा.’’ 

न्यायाधीश ने स्पष्ट कर दिया कि ‘‘यह संरक्षण सशर्त है कि जेएनयू छात्र संघ अपने इस हलफनामे का पालन करेगा कि वह अभी चल रही अपनी हड़ताल तुरंत वापस लेगा और आगे कोई धरना, प्रदर्शन या हड़ताल नहीं करेगा.उच्च न्यायालय ने छात्रों से यह भी कहा कि वे ‘‘नरमी लाएं’’, क्योंकि मामला ‘‘अभी बहुत गर्म है.’’ न्यायाधीश ने यह बात तब कही जब छात्रों के वकीलों ने दावा किया कि यदि भविष्य में कुछ और हो जाता है तो किसी तरह के प्रदर्शन की इजाजत देनी चाहिए. 

इसके बाद न्यायालय ने उन्हें संबंधित अधिकारियों के समक्ष ‘‘शांतिपूर्ण तरीके से ज्ञापन’’ देने की आजादी दी और यूनिवर्सिटी प्रशासन से कहा कि वह ‘‘तार्किक’’ बने और हालात को समझे.बहरहाल, यह आदेश उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य पर तब तक लागू नहीं होगा जब तक वे याचिका दायर कर ये नहीं कहते कि एक उच्च-स्तरीय जांच समिति की सिफारिशों के आधार पर जेएनयू प्रशासन की ओर से किए गए निर्णय के खिलाफ वे अपील कर रहे हैं. उमर और अनिर्बान ने अपने निष्कासन को चुनौती दी है. 

जब अदालत ने छात्रों के वकीलों से कहा कि वे हलफनामा दाखिल कर कहें कि भविष्य में यूनिवर्सिटी परिसर में कोई प्रदर्शन नहीं होगा, तो वकीलों ने कहा कि कुछ दूसरे संगठन हो सकते हैं जो किसी तरह की ‘‘शरारत’’ करें. इस पर न्यायालय ने कहा, ‘‘वह (कन्हैया) जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष हैं और उनके पास छात्रों का समर्थन है. यदि वह कहते हैं कि कोई हड़ताल नहीं होनी चाहिए तो कोई हड़ताल नहीं होगी. वह काफी स्पष्ट तरीके से बोलते हैं और उन्हें दृढ़ता दिखानी होगी.अदालत ने कहा, ‘‘जेएनयू एक सामान्य जगह होनी चाहिए जहां कोई पत्रकार न मंडराए. उन्हें (छात्रों को) पढ़ने दें.

जेएनयू प्रशासन की ओर से पेश हुए वकील से अदालत ने कहा, ‘‘आपको छात्रों के साथ थोड़ा तर्कसंगत ढंग से तालमेल बिठाना चाहिए. हालात को समझें और उनसे बात करें.कन्हैया, अती ए नायर, ऐश्वर्या अधिकारी, कोमल मोहिते, चिंटू कुमारी, अन्वेषा चक्रवर्ती और दो अन्य ने उनके खिलाफ जारी किए गए जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के आदेश को चुनौती दी थी.

उमर खालिद और अनिर्बाण भट्टाचार्य ने इस सप्ताह उनकी बर्खास्तगी के खिलाफ अदालत का रूख किया था. उमर पर 20 हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया गया है. अनिर्बान को जेएनयू परिसर में 23 जुलाई से लेकर पांच साल तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है.इस साल नौ फरवरी को आयोजित हुए विवादास्पद समारोह के चलते कन्हैया, अनिर्बाण और उमर पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया था. इन पर यूनिवर्सिटी ने 10 हजार रूपए का जुर्माना लगाया था.

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