सम्पादकीय

टॉयलेट जरूरी या टेलीफोन

मकान गणना 2011 के आंकड़ों से ये तथ्य सामने आया है कि आजादी के 64 साल बाद भी देश के सिर्फ 47 प्रतिशत घरों में ही शौचालय की सुविधा मौजूद है। बाकी 53 प्रतिशत यानी देश की आधे से भी ज्यादा जनता खुले में ही निवृत होने को मजबूर हैं। हालांकि पिछले 10 सालों में, इसमें 13 प्रतिशत का सुधार …

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बजट 2012 : "आम आदमी को जोर का झटका, धीरे से"

तो लीजिये बजट तो प्रणव दा ने पेश कर दिया और इस बार तो यह भी कह दिया कि “मुझे उदार होने के लिए निष्ठुर होना पड़ेगा | ” लेकिन यह कैसा तर्क दे रहे हैं बाबू मोशाय | निष्ठुरता हमसे काहे की भाई हम तो पहले से आपकी निष्ठुरता और बेखयाली के मारे हैं ,खैर अब  जो है वह …

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बजट 2012 : “आम आदमी को जोर का झटका, धीरे से”

तो लीजिये बजट तो प्रणव दा ने पेश कर दिया और इस बार तो यह भी कह दिया कि “मुझे उदार होने के लिए निष्ठुर होना पड़ेगा | ” लेकिन यह कैसा तर्क दे रहे हैं बाबू मोशाय | निष्ठुरता हमसे काहे की भाई हम तो पहले से आपकी निष्ठुरता और बेखयाली के मारे हैं ,खैर अब  जो है वह …

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बन्दर के हाथ का नारियल है बजट

मित्रों, कहते हैं कि दुर्भाग्यवश एक बार किसी बन्दर के हाथ नारियल पड़ गया. बन्दर ने उससे पहले नारियल को न देखा और न सुना था इसलिए जबरदस्त फेरे में पड़ गया. इसका वो करे तो क्या करे? कभी हवा में उछालता तो कभी जमीन पर पटकता तो कभी दाँत से काट खाने की असफल कोशिश करता. इस प्रकार उसने …

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आसान नहीं प्रणव दा की राह, कैसा होगा उम्मीदों का बजट ?

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के लिए राजनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर लगातार बढ़ती चुनौतियां के बीच वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के लिए इस बार बजट पेश करना अग्निपरीक्षा होगी।उत्तर प्रदेश सहित हाल में संपन्न पांच विधानसभा चुनावों के बाद बदली परिस्थितियों में संप्रग सरकार के लिए संतुलित बजट पेश करने की चुनौती खड़ी हो गई है। एक तरफ बढ़ता …

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रेल बजट 2012 : कुछ दर्द, कुछ उम्मीदें

जब रेल मंत्री अपना पहला रेल बजटपेश करेंगें तो जाहिर है पूरे देश की निगाहें उन पर होंगी, हर साल की तरह इस बार भी ये जनता के लिए सौगात ला सकता है, हालांकि इस बार घाटे का हवाला देकर रेल मंत्री ने किराया बढ़ाने के संकेत दिए हैं। भारतीय रेल एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है और विश्व का …

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“समाजवाद की आंधी में उड़ा सोशल इंजीनियरिंग फार्मूला”

अप्रत्याशित, अदभुत, अकल्पनीय..| यह तीनो शब्द वैसे तो एक दूसरे के पर्याय हैं ,लेकिन यहाँ इन तीनो का उल्लेख करना आवश्यक है | अप्रत्याशित  इस लिए क्योंकि समाजवादियो की इस  जीत की प्रत्याशा नहीं की गयी थी | अदभुत इसलिए क्योंकि यह जीत वाकई अदभुत थी और ऐसी जीत समाजवादियो ने पहले नहीं की थी | अकल्पनीय इस लिए क्योंकि …

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"समाजवाद की आंधी में उड़ा सोशल इंजीनियरिंग फार्मूला"

अप्रत्याशित, अदभुत, अकल्पनीय..| यह तीनो शब्द वैसे तो एक दूसरे के पर्याय हैं ,लेकिन यहाँ इन तीनो का उल्लेख करना आवश्यक है | अप्रत्याशित  इस लिए क्योंकि समाजवादियो की इस  जीत की प्रत्याशा नहीं की गयी थी | अदभुत इसलिए क्योंकि यह जीत वाकई अदभुत थी और ऐसी जीत समाजवादियो ने पहले नहीं की थी | अकल्पनीय इस लिए क्योंकि …

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तेल का ये कैसा खेल…

अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने एक बार फिर तेल की बढ़ती कीमतों के लिए भारत, चीन और ब्राज़ील जैसे देशों को ज़िम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि इन देशों की बढ़ती ज़रूरतों के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल की क़ीमतों में उछाल आया है। राष्ट्रपति ओबामा ने विकासशील देशों की बढ़ती आबादी को इसका आधार बनाया है। हमारी ज़रूरतों के …

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ग़लती किसी की, सज़ा किसी को

अभी ज़्यादा दिन नहीं बीते होंगे जब कर्नाटक के तीन पूर्व मंत्री विघानसभा में अश्लील विडियो देखते पकड़े गए थे। ज़ाहिर है इसका श्रेय मीडिया चैनल को ही जाता है। कैमरामैन ने नेता जी की इस करतूत को कैप्चर किया था। अंजाम ये हुआ था कि लक्ष्मण सादवी, सी सी पाटिल और कृष्णा पालेमर को अपनी कुर्सी तक गवानी पड़ी …

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