आस्था

जैन धर्म के अनमोल सूत्र

जैन धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है. जैन कहते हैं उन्हें जो ‘जिन’ के अनुयायी हो. ‘जिन’ शब्द बना है ‘जि’ धातु से. ‘जि’ माने जितना. जिन अर्थात् जितने वाला जिन्होंने अपने मन को जीत लिया है. अपनी वाणी को जीत लिया है. वे हैं ‘जिन’. जैन अर्थात ‘जिन’ भगवान को धर्म.  जैन धर्म का …

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रात्रिभोजन न करने के वैज्ञानिक कारण

रात में भोजन, पानी आदि ग्रहण करना जैन धर्म में निषेध हैं| इस निषेध के कई कारण हैं| कीटाणु और रोगाणु जिनको नग्न आंखों से देखना असंभव हैं, वे सूरज की रौशनी में गायब हो जाते हैं, वास्तव में नष्ट नहीं होते; वे छायादार स्थानों में शरण लेते हैं और सूर्यास्त के बाद; वे वातावरण में प्रवेश कर उसे व्याप्त …

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जानें अर्जुन के अतिरिक्त गीता का उपदेश किसने सुना

भगवद्‍गीता के पठन-पाठन, श्रवण एवं मनन-चिंतन से जीवन में श्रेष्ठता के भाव आते हैं। गीता भगवान की श्वास और भक्तों का विश्वास है। गीता ज्ञान का अद्भुत भंडार है। गीता आत्मा एवं परमात्मा के स्वरूप को व्यक्त करती है। श्री कृष्ण के उपदेशों को प्राप्त कर अर्जुन उस परम ज्ञान की प्राप्ति करते हैं जो उनकी समस्त शंकाओं को दूर …

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क्या आप जानते हैं गीता सुनाने में कितना समय लगा

कलियुग के प्रारंभ होने के मात्र तीस वर्ष पहले, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन, कुरुक्षेत्र के मैदान में, अर्जुन के नन्दिघोष नामक रथ पर सारथी के स्थान पर बैठ कर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश किया था। इसी तिथि को प्रतिवर्ष गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। कलियुग का प्रारंभ परीक्षित के राज्याभिशेष से माना जाता है, …

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हिन्दू धर्म के पवित्र सोलह संस्कार

हिन्दू धर्म  संस्कारों पर ही आधारित है।  ऋषि-मुनियों ने मानव जीवन को पवित्र एवं मर्यादित बनाने के लिये संस्कारों का अविष्कार किया। प्राचीन काल में हमारा प्रत्येक कार्य संस्कार से आरम्भ होता था। उस समय संस्कारों की संख्या भी लगभग चालीस थी। जैसे-जैसे समय बदलता गया तथा व्यस्तता बढती गई तो कुछ संस्कार स्वत: विलुप्त हो गये। इस प्रकार समयानुसार …

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संस्कार किसे कहते हैं ? अर्थ व परिभाषा

सनातन अथवा हिन्दू धर्म की संस्कृति संस्कारों पर ही आधारित है। हमारे ऋषि-मुनियों ने मानव जीवन को पवित्र एवं मर्यादित बनाने के लिये संस्कारों का अविष्कार किया। धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी इन संस्कारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति की महानता में इन संस्कारों का महती योगदान है। ‘संस्कार’ या ‘संस्कृति’ संस्कृत भाषा का …

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Principles of Jainism – जैन धर्म के सिद्धांत

निवृत्तिमार्ग जैन धर्म भी बौद्ध धर्म के समान निवृत्तिमार्गी था। संसार के समस्त सुख दु:ख मूलक हैं। मनुष्य आजीवन तृष्णाओं के पीछे भागता रहता है। वास्तव में यह मानव शरीर ही क्षणभंगुर है। जैन धर्म इन दु:खों से छुटकारा पाने हेतु तृष्णाओं के त्याग पर बल देता है। वह मनुष्यों को सम्पत्ति, संसार, परिवार आदि सब का त्याग करके भिक्षु …

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How To Find God – परमेश्वर से मुलाकात

प्रत्येक व्यक्ति के मन में यह प्रश्न अवश्य उठता है कि परमेश्वर कौन है? वह कैसा है? इसका क्या प्रमाण है कि परमेश्वर है? उसका आरम्भ कब हुआ? क्या हम परमेश्वर को जान सकते हैं? जब हम अपने चारों ओर प्रकृति को निहारते हैं तो उसकी सुन्दरता पर चकित हो जाते हैं। खिल-खिलाते फूल, खूबसूरत पेड़ पौधे, सूरज चाँद-सितारों से …

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परमेश्वर का वचन – बाइबल – What Does the Bible Say About Word Of God

बाइबल कोई दर्शन शास्त्र की पुस्तक नहीं फिर भी इसमें दर्शन है। बाइबल वैज्ञानिक शोध की पुस्तक नहीं फिर वैज्ञानिक तथ्यों तथा बाइबल में कोई विरोध नहीं है। बाइबल इतिहास की पुस्तक नहीं है, परन्तु इतिहास का लेखा इसमें एकदम सटीक पाया जाता है। बाइबल परमेश्वर के द्वारा मनुष्यों को दी गई पुस्तक है, जो परमेश्वर का पुत्र अर्थात यीशु …

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क्या परमेश्वर का अस्तित्व है? क्या परमेश्वर के अस्तित्व का कोई प्रमाण है?

परमेश्वर का अस्तित्व प्रमाणित या अस्वीकृत नहीं किया जा सकता है। बाइबल भी यह कहती है कि हमें विश्वास के द्वारा इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिये कि परमेश्वर का अस्तित्व है, “और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिये, कि वह है, और अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है” …

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